प्रयागराज में घूमने की जगह – Prayagraj Me Ghumne Ki Best Jagah 2024
वैसे तो Prayagraj Me Ghumne Ki Best Jagah है जहाँ आप अपने दोस्त और परिवार के साथ घूम सकते है। मैंने इस लेख में कुछ खास जगह के बारे में ही बताया है। जो नीचे लेख में आपको पूरी जानकारी मिलेगी।
- त्रिवेणी संगम (Triveni Sangam)
- खुसरो बाग (Khusro Bagh)
- प्रयागराज संग्रहालय (Prayagraj Museum)
- अकबर किला (Akbar kila)
- ऑल सेंट्स कैथेड्रल (All Saints’ Cathedral)
- जवाहर तारामंडल (Jawahar Planetarium)
- स्वराज भवन (Swaraj Bhavan)
- सुमित्रानंदन पंत पार्क (Sumitranandan Pant Park)
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त्रिवेणी संगम (Triveni Sangam)
त्रिवेणी संगम (Triveni Sangam) एक प्रमुख तीर्थस्थल है जो भारत के प्रयागराज (इलाहबाद) में सिविल लाइन्स से लगभग 7 किलोमीटर दूर शहर में स्थित है। यह संगम 3 नदियों, गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है। कहा जाता है कि इन तीनों नदियों में से, सरस्वती नदी अदृश्य है और यह भूमिगत बहती है। ‘त्रिवेणी संगम’ वही स्थान है जहाँ हर 12 साल में एक बार कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। मेले की सही तारीख हिंदू कैलेंडर यानी पंचांग के अनुसार निर्धारित की जाती है। गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों नदियाँ हिन्दू पौराणिक कथाओं में अत्यधिक पूजनीय नदियाँ हैं। इसलिए इन नदियों के संगम स्थल अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान करने से सभी पाप दूर हो जाते हैं और आप पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाते हैं। इसके अलावा, संगम अपने आप में घूमने के लिए एक सुंदर और शांतिपूर्ण जगह है। पूरे भारत से श्रद्धालु इस हिंदू पवित्र तीर्थ स्थल पर प्रार्थना करने और पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए आते हैं। हैं। यह ‘त्रिवेणी संगम’ प्रयागराज में घूमने की जगह (Prayagraj Me Ghumne Ki Best Jagah) में से अधिक प्रसिद्ध है। इसकी खास बात यह है कि यहाँ आने वाले सभी भक्त लोग ‘पवित्र गंगाजल’ लिए बिना नहीं जाते है।
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खुसरो बाग (Khusro Bagh)
प्रयागराज (इलाहाबाद) शहर के पश्चिमी छोर पर प्रयागराज रेलवे स्टेशन के पास स्थित खुसरो बाग मुगलकालीन वास्तुकला इतिहास की एक अमिट धरोहर हैं। खुसरो बाग एक विशाल ऐतिहासिक बाग है। इस विशाल बाग में जहाँगीर परिवार की तीन बलुआ पत्थर की कब्रें हैं जिनमे उनके सबसे बड़े बेटे, ख़ुसरो मिर्ज़ा उनकी बहन ‘सुल्तान निथार बेगम’ और उनकी राजपूत माँ ‘शाह बेगम’ का मकबरा स्थित है। खुसरो बाग 67 एकड़ क्षेत्रफल में बना हुआ है। इसके चारों तरफ लाल पत्थर की ऊँची -ऊँची दीवारें हैं। खुसरो जहाँगीर का सबसे बड़ा बेटा था। यह एक ऐसा व्यक्ति था जिसे बाग में बंदी बनाकर रखा गया था क्योंकि उसने सिंहासन पाने के लिए अपने पिता जहाँगीर के खिलाफ सन 1606 में विद्रोह कर दिया था। जिसमे उसे बड़ी निर्दयता से मार दिया गया था। तब उसकी उम्र केवल 34 साल की थी। उस लड़ाई में जहाँगीर के दूसरे बेटे खुर्रम (शाहजहाँ) ने खुसरो को ख़तम करने के लिए लड़ाई में हिस्सा लिया था। उसके बाद में खुर्रम बादशाह बन गया। खुसरो की कब्र का निर्माण सन 1622 में पूरा हो गया था। ‘निथार बेगम’ जिसकी कब्र ‘शाह बेगम’ और खुसरो की कब्र के बीच में थी। उसका निर्माण सन 1624-25 के दौरान करवाया गया था। अमीर खुसरो को ‘तोता-ए-हिंद’ के नाम से जाना जाता है। वह एक सूफी संगीतकार, कवि और मध्यकालीन भारत के विद्वान थे। उन्हें उर्दू साहित्य के जनक के रूप में भी जाना जाता है। लूकरगंज में स्थित खुसरो बाग, प्रयागराज में घूमने की जगह (Prayagraj Me Ghumne Ki Best Jagah) में से सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। खुसरो बाग की दीवार मुगल वास्तुकला का एक आश्चर्यजनक अवशेष है। यहाँ आप अपने दोस्त व परिवार के साथ कभी भी जा सकते है। खुसरो बाग आज के समय में एक पर्यटन स्थल है। यहाँ लोग दूर -दूर से घूमने आते है। खुसरो बाग़ में जाने के लिए कोई टिकट नहीं लगता है।
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प्रयागराज संग्रहालय (Prayagraj Museum)
प्रयागराज संग्रहालय (Prayagraj Museum) सिविल लाइन्स क्षेत्र के चन्द्रशेखर आजाद पार्क, कमला नेहरू रोड, प्रयागराज में स्थित है। इलाहबाद संग्रहालय भवन जिसे वर्तमान में ‘प्रयाग संग्रहालय’ कहा जाता है। उसकी आधार शिला 14 दिसम्बर 1947 को पं0 जवाहरलाल नेहरू के द्वारा रखी गई थी। सन 1954 में यह संग्रहालय जनसामान्य के लिए खोल दिया गया था। प्रयागराज (इलाहाबाद) संग्रहालय का पुस्तकालय भारतीय कला और पुरातत्व पर आधारित पुस्तकों के लिए उत्तर भारत में सबसे बड़े स्रोतों में से एक है। इस पुस्तकालय में लगभग 30,000 पुस्तकें हैं। जो हर साल, पुरातनता, मनुष्य और पर्यावरण और पुरात्तव जैसे उल्लेखनीय विषयों पर आधारित प्रतिष्ठित पत्रिकाएं यहाँ आती रहती हैं। संग्रहालय का पुस्तकालय एक संदर्भ पुस्तकालय है जहाँ शोधार्थी, विद्यार्थी और अन्य साहित्यकार आते हैं और आवश्यकता पड़ने पर पुस्तकालय की पुस्तकों का उल्लेख करते हैं। इस पुस्तकालय में धर्म, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति, कला, संस्कृत और अन्य संबद्ध पुस्तकों, विश्वकोश, पत्रिकाओं, दुर्लभ पुस्तकों आदि पर लगभग 30,000 पुस्तकें उपलब्ध हैं।
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अकबर किला (Akbar Kila)
प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर बना अकबर किला (Akbar kila) मुगल बादशाह अकबर ने इसे सन 1583 में बनवाया गया था। 30 हजार वर्ग फुट में बना यह किला लगभग 45 सालों में बनकर तैयार हुआ था। इसके निर्माण में कुल लागत 6 करोड़,17 लाख, 20 हजार 214 रुपये आयी थी। यह किला गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम तट पर बना हुआ है। किले को चार भागों में निर्मित किया गया है। वर्तमान में इस किले का एक ही भाग पर्यटकों के लिए खोला जाता है। बाकी के हिस्से का प्रयोग भारतीय सेना करती है। इस किले में तीन बड़ी गैलरी हैं जहाँ पर ऊँची-ऊँची मीनारें हैं। सैलानियों को अशोक स्तंभ, सरस्वती कूप और जोधाबाई महल देखने की इजाजत है। 12 साल में आयोजित होने वाले कुम्भ मेले के अवसर पर पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। किले के परिसर में स्थित त्रेता युग का प्राचीन ‘अक्षयवट बरगद’ का पेड़ भी है। कहा जाता है पहले लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए इसी बरगद के पेड़ का इस्तेमाल करते थे। यह अकबर किला प्रयागराज में घूमने की जगह (Prayagraj Me Ghumne Ki Jagah) में से काफ़ी प्रसिद्ध जगह है। इसे प्रयागराज किला (इलाहबाद किला ) के नाम से भी जाना जाता है।
ऑल सेंट्स कैथेड्रल (All Saints’ Cathedral)
ऑल सेंट्स कैथेड्रल (All Saints’ Cathedral), प्रयागराज शहर के सरोजिनी नायडू मार्ग, एमजी रोड, सिविल लाइन्स में स्तिथ है। ऑल सेंट्स कैथेड्रल चर्च प्रयागराज के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। जिसे अंग्रेजों ने अपने शासन काल के दौरान बनवाया था। इस चर्च को बनाने में चार साल लग थे। ऑल सेंट्स कैथेड्रल की आधारशिला 10 अप्रैल 1971 को विलियम मुइर की पत्नी एलिजाबेथ हंटली वेमिस के द्वारा रखी गई थी। जो सन 1887 से लेकर 1891 तक पूरा हुआ। इस चर्च को मुंबई के क्रॉफर्ड मार्केट के मुख्य वास्तुकार विलियम एमर्सन द्वारा डिजाइन किया गया। इसे ‘चर्च ऑफ़ स्टोन’ के रूप में भी जाना जाता है। प्रयागराज का यह लोकप्रिय चर्च पर्यटकों के लिए एक वास्तुशिल्प आनंद के रूप में जाना जाता है। चर्च को अक्सर पत्थर गिरजाघाट (पत्थरों के चर्च) कहा जाता है। यहाँ हर साल 1 नवंबर को चर्च अपनी सालगिरह मनाता है। यह चर्च उत्तर प्रदेश राज्य के खूबसूरत चर्चों में से एक है। यहाँ पर्यटकों और तीर्थयात्रियों का तांता लगा रहता है। हालाँकि, क्रिसमस, ईस्टर और गुड फ्राइडे के दिनों में भीड़ दोगुनी हो जाती है। यहाँ आप अपने दोस्तों और फॅमिली के साथ घूमने जा सकते हो। यहाँ जाने के लिए कोई टिकट नहीं लगता है। यह सप्ताह के सातों दिन खुला रहता है। खुलने का समय सुबह 8.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक है।
जवाहर तारामंडल (Jawahar Planetarium)
अगर आप विज्ञान में थोड़ा बहुत भी रूचि रखते हो तो आप जवाहर तारामंडल (Jawahar Planetarium) जो आनंद भवन के परिसर में स्थित है। यह प्रयागराज का जवाहर तारामंडल घूमने के लिए बहुत बढ़िया जगह है। यहाँ आपको एक बार जरूर घूमने आना चाहिए। जवाहर तारामंडल में आपको बहुत सारी 3D कार्यक्रम देखने को मिलेगा जैसे – स्काई शो , सौरमंडल, डिजिटल त्रिआयामी आकाशीय कार्यक्रम, खगोल अंतरिक्ष विज्ञान, रॉकेट का मॉडल और न्यूक्लियर पावर प्लांट का मॉडल आदि। इस शो में प्रसिद्ध एस्ट्रोनॉट के बारे में भी जानकारी दी जाती है। आप यहाँ पर अपने बच्चों के साथ एक बार जरूर आये हैं। यह शो अलग-अलग समय पर होता रहता है। यह शो 1 घंटे का रहता है। आप इस शो को देखने के लिए टिकट लेकर जा सकते हैं। इसमें आपके बच्चों के मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान भी प्राप्त होता है। जवाहर तारामंडल में टिकट के लिए 60 रूपये का शुल्क लिया जाता है। आनंद भवन संग्रहालय, स्वराज भवन संग्रहालय, भरद्वाज आश्रम और भरद्वाज पार्क यह सभी जगह जवाहर तारामंडल के पास ही में है तो आप इन जगहों पर भी घूम सकते हो।
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स्वराज भवन (Swaraj Bhavan)
स्वराज भवन (Swaraj Bhavan) प्रयागराज के सरस्वती घाट के पास स्तिथ है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू ने यह जमीन सन 1899 में 20 हजार रुपये में खरीदा और एक आलीशान बंगला बनवाया जिसका नाम ‘स्वराज भवन’ रखा। स्वराज भवन प्रयागराज में स्थित एक ऐतिहासिक भवन एवं संग्रहालय है। इस ऐतिहासिक भवन का निर्माण मोतीलाल नेहरू ने करवाया था। जो सन 1930 में उन्होंने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया था और एक नया भवन बनवाया जिसका नाम ‘आनंद भवन’ रखा। बाद यहाँ कांग्रेस कमेटी का मुख्यालय बनाया गया। भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्म ‘स्वराज भवन’ में हुआ था और विवाह 26 मार्च 1942 को ‘आनंद भवन’ में हुआ था। आनंद भवन काफी वक्त तक देश की आजादी के लिए चलाए जा रहे आंदोलन का केंद्र रहा। इंदिरा गांधी ने 14 नवंबर वर्ष 1969 में ‘आनंद भवन’ राष्ट्र को समर्पित कर दिया। वर्तमान में इसे संग्रहालय का रूप दे दिया गया है। जिसमें नेहरू परिवार से जुड़ी वस्तुएं और आजादी के संघर्ष से जुड़ी कांग्रेस पार्टी की बैठकों और गतिविधियों की जानकारी संग्रहित हैं। आप यहाँ अपने दोस्तों और परिवार के साथ जा सकते हो। इसके खुलने का समय सुबह 9:30 से शाम 5:30 बजे तक रहता है। सोमवार को छुट्टी रहती है। यहाँ जाने के लिए 10 रुपए का टिकट लगता है।
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सुमित्रानंदन पंत पार्क (Sumitranandan Pant Park)
सुमित्रानंदन पंत पार्क (Sumitranandan Pant Park) या हाथी पार्क प्रयागराज शहर के 1092, कमला नेहरू रोड, पुराना कटरा सिविल लाइंस में स्थित है। यहाँ परिवार और दोस्तों के साथ घूमने के लिए शानदार जगह है। यह बच्चों के लिए भी बहुत खास है। इसमें 5 वर्ष और उससे कम उम्र के बच्चों के लिए उपयुक्त कई छोटी सवारी, झूले, नाश्ते और पेय पदार्थ परोसने वाले कियोस्क इस खूबसूरत पार्क की विशेषताएं हैं। नाव की सवारी, मिनी झूला, कैफेटेरिया आदि भी उपलब्ध है। इस पार्क का मूल नाम सुमित्रानंदन पंत चिल्ड्रेन पार्क है, लेकिन इसे ‘हाथी पार्क’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहाँ हाथी की एक मूर्ति है, जिसमें बच्चा प्रवेश कर सकता है और फिसल सकता है। यहाँ फैली हरियाली हरे-भरे पेड़ और पक्षियों की चहचहाहट उन सभी पर्यटकों के लिए मनमोहक लगती है जो इस जगह पर आते हैं। इस पार्क में एक छोटा चिड़ियाघर भी उपलब्ध है जिसमें आप कुछ जंगली जानवरों को देख सकते हैं। यहाँ आपको अपने बच्चों के जरूर जाना चाहिए ️क्योकि यह पार्क बच्चों के बेहद खास है। इसके खुलने का समय सुबह 8:00 बजे से रात 8:00 बजे तक रहता है। सप्ताह के सभी दिन खुलता है। इसका टिकट वयस्कों के लिए 10 रूपये और बच्चों के लिए 5 रूपये है।
प्रयागराज कैसे पहुंचें?
सड़क मार्ग
प्रयागराज (इलाहाबाद) का मुख्य स्टेशन प्रयागराज (इलाहाबाद) जंक्शन रेलवे स्टेशन है। प्रयाग रेलवे स्टेशन त्रिवेणी संगम के निकट है। इलाहाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग-2 और NH-27 पर है और सड़कों द्वारा देश के सभी हिस्सों से जुड़ा हुआ है। सभी पड़ोसी और दूर-दराज के स्थानों जैसे- वाराणसी, लखनऊ, कानपुर, पटना, झाँसी और गोरखपुर आदि के लिए बसें चलती हैं।
वायु मार्ग
प्रयागराज का अपना हवाई अड्डा यानी बमरौली हवाई अड्डा, प्रयागराज है जो मूल रूप से सेना छावनी हवाई अड्डे के रूप में कार्य करता है। इसलिए, यह केवल VIP विजिट के उद्देश्य से कार्य करता है।
तो, प्रयागराज से निकटतम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा वाराणसी हवाई अड्डा है। जो प्रयागराज से 125 किलोमीटर की दुरी पर है। वाराणसी हवाई अड्डा प्रयागराज आने वाले पर्यटकों की जरूरतों को पूरा करता है। दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और कोलकाता जैसे विभिन्न शहरों से उड़ानें नियमित आधार पर उपलब्ध हैं। आप वाराणसी से प्रयागराज तक निजी वाहन, बस या ट्रेन किराए पर ले सकते हैं, जो सिर्फ 2 घंटे की यात्रा है।
प्रयागराज में खाने के लिए क्या क्या फेमस है?
जहाँ प्रयागराज (इलाहाबाद) में घूमने के लिए कई सारी जगह हैं। वही यहाँ पर आपको तरह – तरह के स्ट्रीट फूड और भोजन खाने को मिलेंगे। प्रयागराज में आपको लस्सी, चाट, कचौरी और हलवा काफी फेमस हैं। यहाँ की प्रसिद्ध हरी नमकीन वाले की दुकान हैं, जिसके फेमस समोसे हैं।
FAQ
QUES 1- प्रयागराज में खुसरो बाग किसने बनाया था?
प्रयागराज के खुसरो बाग को मुग़ल सम्राट जहांगीर (Jahangir) ने बनवाया था। जिसका श्रेय जहांगीर के दरबार के कलाकार अका रेजा को दिया जाता है। इसका नाम मीरज़ा ख़ुसरो के नाम पर रखा गया था। ख़ुसरो बाग में मुग़ल शैली की बागवानी की गई थी और यह जगह अपनी शांति, सुंदरता, और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
QUES 2- इलाहाबाद संग्रहालय की स्थापना कब हुई थी?
निष्कर्ष
मित्रों, हमने इस आर्टिकल के माध्यम से Prayagraj Me Ghumne Ki Best Jagah के बारे में समझाया तथा अगर आप भी भविष्य में प्रयागराज (इलाहाबाद) घूमने का प्लान बना रहे हैं तो इस आर्टिकल को ध्यान में रखते हुए अच्छी तरह से प्लानिंग करके जाएं। आपको यह जानकारी कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।
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