प्रयागराज (इलाहाबाद), भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का प्रमुख शहर है। प्रयागराज हिन्दुओं का मुख्य तीर्थस्थल है। प्रयागराज के प्रसिद्ध मंदिर (Prayagraj ke Famous mandir) और पवित्र नदियों के संगम का वर्णन हिन्दू धर्म ग्रंथों में भी मिलता है। प्रयागराज का प्राचीन नाम प्रयाग था। बाद में इसे इलाहबाद कर दिया गया था। वर्तमान में इसका नाम प्रयागराज है। यहाँ गंगा ,यमुना और सरस्वती तीनों नदियों का मिलन हुआ है जिसे संगम कहते है। प्रयागराज में सात ‘तीर्थदेव’ है। जो संस्कृत में एक श्लोक में लिखा है कि “त्रिवेणीम्, माधवम्, सोमम्, भरद्वाजम् च वासुकिम्, वंदे अक्षयवटम्, शेषम् प्रयागम् तीर्थनायकम्”। जिसमे त्रिवेणीम् (त्रिवेणी संगम), माधवम् (वेणी माधव), सोमम् (सोमेश्वर महादेव), भरद्वाजम् (ऋषि भारद्वाज), वासुकिम् (नाग वासुकी), अक्षयवटम्, (अक्षयवट) और शेषम् (शेषनाग) है।
प्रयागराज के 6 प्रसिद्ध मंदिर-Prayagraj ke Famous mandir
प्रयागराज में ऐसे कई प्राचीन हिन्दू मंदिर मौजूद है जो अपनी ऐतिहासिक और सामाजिक मान्यताओं के लिए जाने जाते है। प्रयागराज (इलाहाबाद) को तीर्थ नगरी भी कहा जाता है। आप प्रयागराज के प्रसिद्ध मंदिर (Prayagraj ke Famous mandir) के दर्शन जरूर करें।
- वेणी माधव मंदिर, प्रयागराज
- शंकर विमान मंडपम, प्रयागराज
- श्री बड़े हनुमान मंदिर , प्रयागराज
- भारद्वाज आश्रम, प्रयागराज
- सोमेश्वर महादेव मंदिर, प्रयागराज
- नाग वासुकी मंदिर, प्रयागराज
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वेणी माधव मंदिर, प्रयागराज
वेणी माधव मंदिर प्रयागराज (इलाहाबाद) के दारागंज की तंग गली में स्थित है। वेणी माधव मंदिर में श्री वेणी माधव के रूप में श्री विष्णु और त्रिवेणी माँ के रूप में माँ लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित है। मान्यता है कि जब ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना करने के बाद प्रयागराज की धरती पर दशाश्वमेध घाट पर जब यज्ञ कर रहे थे। तब उन्होंने प्रयागराज की सुरक्षा के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना कर उनके बारह स्वरूपों की स्थापना करवाई थी। तब से श्री विष्णु श्री वेणी माधव के रूप में यहां निवास कर रहे हैं। एक मान्यता यह भी है कि प्रयागराज में श्री विष्णु ने पवित्र संगम त्रिवेणी (गंगा, यमुना और सरस्वती) को राक्षस गजकर्ण से मुक्त कराया था और अपने भक्तों को श्री वेणी माधव के रूप में प्रयागराज (इलाहाबाद) में रहने का वादा किया। श्री वेणी माधव के दर्शन के बिना प्रयागराज की यात्रा एवं यहाँ होने वाली पंचकोसी परिक्रमा को पूरा नहीं माना जाता है।
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शंकर विमान मंडपम, प्रयागराज
प्रयागराज (इलाहाबाद) में बना शंकर विमान मंडपम, भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। आदि शंकराचार्य की स्मृति में बना यह मंदिर त्रिवेणी संगम के तट पर स्थित है। यह मंदिर 130 फीट ऊँचा मंदिर है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना है। जो शास्त्री पुल से देखने पर यह मंदिर भव्य व अलौकिक लगता है। यह चार मंजिला मंदिर है। इस मंदिर में जगतगुरु आदि शंकराचार्य, कुमारी भट्ट, कामाक्षी देवी (चारों ओर 51 शक्तिपीठ की मूर्तियां), योगशास्त्र सहस्त्रयोग लिंग (108 शिवलिंग) और तिरुपति बालाजी (108 विष्णु भगवान) सहित विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित है।
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श्री बड़े हनुमान मंदिर, प्रयागराज
श्री बड़े हनुमान मंदिर प्रयागराज (इलाहाबाद) में शहर के किनारे अकबर किले के पास लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर है। इस मूर्ति की लंबाई लगभग 20 फीट है। यहाँ के लोगो का कहना है कि गंगा मैया हर साल हनुमान जी को पहला स्नान कराती हैं। इस मंदिर का संचालन बाघम्बरी मठ द्वारा किया जाता है। यहाँ हर दिन हजारों भक्तों की भीड़ लगती है। इस मंदिर को लोग लेटे हुए हनुमान जी को बांध वाले हनुमान जी भी कहा जाता है।
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भारद्वाज आश्रम, प्रयागराज
भारद्वाज आश्रम एक मंदिर और आश्रम है। यह आश्रम वर्तमान में कर्नलगंज, प्रयागराज (इलाहाबाद) में स्थित है। यह भारद्वाज आश्रम अनादि काल से हिंदू संस्कृति और सभ्यता की निरंतरता का प्रतीक है। ऋषि भारद्वाज का आश्रम ‘गुरुकुल’ विद्या और शिक्षा का एक केंद्र था। भारद्वाज आश्रम ज्ञानी ऋषि-मुनियों और प्रयागराज के हजारों वर्षों के रिश्ते का प्रतीक है। भारद्वाज आश्रम में निरंतर यज्ञ होने के कारण हिंदू धर्म ग्रंथों में प्रयागराज को ‘यज्ञ भूमि’ भी कहा जाता है। यह वही भारद्वाज आश्रम है जहाँ श्रीराम सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वनवास जाते समय ऋषि भारद्वाज से मुलाकात की थी और उनके साथ महत्वपूर्ण बातचीत की थी।
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सोमेश्वर महादेव मंदिर, प्रयागराज
सोमेश्वर नाथ मंदिर प्रयागराज के यमुना तट पर अरैल गांव में भगवान शिव का मंदिर स्थापित है। यह एक प्राचीन शिव मंदिर है। जिसकी स्थापना चंद्रमा ने की थी। कहा जाता है कि जब माता पार्वती के पिता राजा दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा को क्रोधित होकर श्राप दे दिया था। जिससे चंद्रमा कुरूप होकर छय रोग से ग्रसित हो गए। इस श्राप मुक्त होने के लिए भगवान शिव के कहने पर चंद्रमा ने सोमेश्वर नाथ मंदिर की स्थापना की और भगवान शिव की आराधना की। जिससे उनका छय रोग ठीक हो गया। उसी प्राचीन मंदिर को सोमेश्वर नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। मान्यता यह भी है कि इस मंदिर के आस पास अमृत की वर्षा होती है। प्रत्येक माह की पूर्णिमा की रात को इस शिव मंदिर की शिखा पर लगे त्रिशूल की दिशा भी चंद्रमा के साथ बदलती है। यह प्रयागराज (इलाहाबाद ) के प्रसिद्ध मंदिर में से एक है। त्रिशूल की दिशा बदलना ही इस मंदिर की महिमा है। जो लोगों को दूर-दूर से अपनी ओर आकर्षित करती है।
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नाग वासुकी मंदिर, प्रयागराज
नाग वासुकी मंदिर प्रयागराज के दारागंज इलाके में गंगा के किनारे नाग देवता का मंदिर है। नाग वासुकी को नागों का राजा माना जाता है। प्रयागराज के इस मंदिर में नागपंचमी (Nag Panchami) का त्यौहार पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। नाग पंचमी के दिन भक्त इस नाग मंदिर में दूध और जल चढ़ाकर अपने घर-परिवार और कुल को सांपों की काली छाया से रक्षा करने की प्रार्थना करते है। इस मंदिर में कंकड़ का भी अपने आप में एक रहस्य है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इलाहाबाद के नागवासुकी मंदिर से कंकड़ ले जाकर अपने घर के चारों तरफ रखने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ उसके बाद नागराज वासुकी मंदरांचल पर्वत से रगड़कर पूरी तरह जख्मी हो गए थे और उनके शरीर में जलन होने लगी। तब भगवान विष्णु की सलाह पर नागराज वासुकी ने प्रयागराज में इस जगह पर विश्राम किया था। इसी वजह से इसे नागवासुकी मंदिर कहते है। पुराणों में यह भी वर्णित है कि जब देवी गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरीं तो वह पृथ्वी लोक से पाताल लोक में चली गईं। वहाँ उनकी धारा नागराज वासुकी के फन पर गिरी। इस लिए इस स्थान पर भोगवती तीर्थ का निर्माण हुआ। इसके बाद नागराज वासुकी और शेष भगवान पाताल लोक से चलकर वेणीमाधव का दर्शन करने प्रयाग गए। तो भोगवती तीर्थ भी प्रयाग आ गया। यही वजह है कि इस स्थान को नागराज वासुकी के साथ-साथ भोगवती तीर्थ का वास भी माना जाता है। बारिश के मौसम में जब गंगा में बाढ़ आती है तो इसका जल मंदिर की सीढ़ियों तक पहुँच जाता है। माना जाता है कि उस समय जो भी श्रद्धालु वहाँ स्नान करते हैं। उन्हें भोगवती तीर्थ का लाभ कहा जाता है।
FAQ
QUES1- ऋषि भारद्वाज का आश्रम कहाँ है?
भारद्वाज मुनि आश्रम कर्नलगंज, प्रयागराज( इलाहाबाद) में स्थित है। श्रीराम सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वनवास जाते समय ऋषि भारद्वाज से मुलाकात की थी और उनके साथ महत्वपूर्ण बातचीत की थी।
QUES2- इलाहाबाद में सबसे पुराना किसका मंदिर है?
इलाहाबाद (प्रयागराज) में सबसे पुराना मंदिर श्री वेणी माधव मंदिर है। यह विष्णु भगवान का पहला मंदिर है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी प्रयागराज की धरती पर जब यज्ञ कर रहे थे। तब उन्होंने प्रयागराज की सुरक्षा के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना कर उनके बारह स्वरूपों की स्थापना करवाई थी।
निष्कर्ष
इस लेख में आपको प्रयागराज के प्रसिद्ध मंदिर (Prayagraj ke Famous mandir) के बारे में जानकारी दी गई है जिसे आप पढ़ कर इन जगहों का अनुभव ले सकते हो और जब भी इलाहाबाद जाने का मौका मिले तो आप प्रयागराज के प्रसिद्ध मंदिर (Famous Temple Prayagraj) पर जरूर दर्शन करे। इस लेख अपने दोस्तों को भी शेयर करे ताकि वो भी इन मंदिरों के दर्शन कर सकें। अगर आपको यह जगह अच्छी लगे तो अपना अनुभव जरूर बताये।
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