इस लेख में हम आपको Famous Temple Kanpur के बारे में बतायेगें। कानपुर शहर घाटों और मंदिरों के लिए बहुत मशहूर है साथ ही धार्मिक मान्यता के लिए काफी प्रसिद्ध है। कानपुर का बिठूर विश्व का केंद्र बिंदु माना जाता है। यदि आप कानपुर की यात्रा निकले है तो आपको कानपुर के इन प्रसिद्ध मंदिरों का दर्शन जरूर करना चाहिए। यहाँ आप अपने फैमली और दोस्तों के साथ जा सकते है।
कानपुर के प्रसिद्ध मंदिर – Famous Temple Kanpur
हम आपको कानपुर के प्रसिद्ध मंदिर Famous Temple Kanpur के बारे में बतायेगें। जहाँ आपको जरूर जाना चाहिए यदि आप कानपुर के लोकल हो तो आप ये मंदिर जरूर जाएँ।
- कांच का मंदिर, कानपुर (Glass Temple, kanpur)
- जे.के. मंदिर, कानपुर (JK Temple, kanpur)
- जगन्नाथ मंदिर, कानपुर ( Jagannath Temple, Kanpur )
- भीतरगांव मंदिर, कानपुर (Bheetar Gaon temple, kanpur)
- साईं मंदिर, कानपुर (Sai Baba Mandir, kanpur)
- इस्कान मंदिर, कानपुर (Iskcon Temple, kanpur)
- बारहा देवी मंदिर, कानपुर (Bara Devi Tempel, kanpur)
- पनकी मंदिर, कानपुर (Panki Temple, kanpur)
- आनन्देश्वर मन्दिर, कानपुर (Anandeshwar Temple, Kanpur)
- वैष्णों देवी मंदिर, कानपुर ( Vaishno Devi Temple, Kanpur)
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कांच का मंदिर, कानपुर (Glass Temple, kanpur)
यह काँच का मंदिर उत्तर प्रदेश के कानपुर में माहेश्वरी मोहाल में कमला टॉवर के पीछे की तरफ बना है। यह एक जैन मंदिर है जिसे जैन कांच मंदिर (Jain Glass Temple) कहा जाता है। जैन कांच मंदिर को जैन समुदाय के द्वारा अपने धर्म के 24 तीर्थंकरों की याद में बनवाया था। इस मंदिर में 15वें तीर्थंकर धर्मनाथ स्वामी और 7वें तीर्थंकर सुपाश्र्वनाथ की प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर कांच के टुकड़े और तामचीनी का बना हुआ है।इस मंदिर की ज़मीन संगमरमर की बनी हुई है जबकि मंदिर की दीवारों और छतों को कलात्मक ढंग से कटे हुए कांच से सजाया गया है।
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जे.के. मंदिर, कानपुर (JK Temple, kanpur)
यह जे.के. मंदिर ( जुग्गीलाल कमलापत मंदिर) कानपुर के सर्वोदय नगर में फर्स्ट स्ट्रीट पर स्थित है। यह मंदिर जे. के. ट्रस्ट द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर के रखरखाव का बड़ा खर्च भी जे.के. ट्रस्ट फंड से ही आता है। यह मंदिर राधाकृष्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में पांच मंदिर हैं। इस मंदिर के बीच में मूल रूप से श्री राधाकृष्ण की मूर्तियां है। इसके अलावा श्री लक्ष्मीनारायण, श्री अर्धनारीश्वर, नर्मदेश्वर और श्री हनुमान की सुंदर मूर्तियाँ हैं। यह मंदिर कानपुर आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है।
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जगन्नाथ मंदिर, कानपुर ( Jagannath Temple, Kanpur )
उत्तर प्रदेश के कानपुर के बेहटा बुजुर्ग गाँव में भगवान जगन्नाथ जी का एक प्राचीन मंदिर मौजूद है। जो अपनी एक अनोखी विशेषता के कारण प्रसिद्ध है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह मंदिर बारिश के 7 दिन पहले ही सूचना दे देता है कि बारिश होगी या नहीं। आप शायद यकीन नहीं करेंगे पर यह हकीकत है। मान्यता है कि इसके भीतर लगे पत्थर बारिश और मानसून की सटीक भविष्यवाणी करते हैं। इसलिए इस मंदिर को ‘मौसम मंदिर’ भी कहा जाता है। वहाँ के लोगों का कहना है कि मानसून का मौसम आने से 7 दिन पहले मंदिर में रखी भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के ऊपर छत से पानी की बूंदें टपकने लगती हैं। अगर पत्थर सिर्फ पसीजता है तो कम बारिश होगी। अगर पत्थर पर पानी इकट्ठा होकर बूंदे बनने लगती हैं तब यह सामान्य बारिश का संकेत है। अगर पत्थर से बूंदें गिरने लगती हैं तो ये अच्छी बारिश होने का संकेत होता है। बूंदों के आकार से भी बारिश कितनी होगी ये अंदाजा लगाया जाता है। यह कानपुर का प्रसिद्ध मंदिर (Famous Temple In Kanpur) लगभग 42 सौ साल पुराना है।
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भीतरगांव मंदिर, कानपुर (Bheetar Gaon temple, kanpur)
भीतरगाँव का मन्दिर, गुप्त वास्तुकला का अनुपम उदाहरण माना जाता है।भीतर गाँव, उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित है। यह गुप्तकालीन के एक मंदिर का अवशेष उपलब्ध है। पुरातत्व विभाग के मुताबिक यहाँ मौजूद पक्की ईंटों का बना यह सबसे पुराना टेराकोटा हिंदू मंदिर है। जो 5वी शताब्दी में बनाया गया था। जो गुप्तकालीन वास्तुकला के सुंदर नमूनों में से एक है। उस समय स्थापत्य कला में पक्की ईंटों का प्रयोग शुरू हो गया था। मंदिर के बाहरी आलों में टेराकोटा (यानी मिट्टी की पकी हुईं) मूर्तियां मौजूद है। इसके अलावा 5वी सदी में ईंटों को तराशने की कला का भी विकास हो गया था। जिसके प्रमाण भी मंदिर के बाहरी आलों के किनारे पर मौजूद हैं। हालांकि मंदिर के गर्भगृह पर कोई कला या प्रतिमा मौजूद नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि गुप्तकाल में मंदिर के बाहरी आलों को तो पक्का बनाया जाने लगा था। लेकिन गर्भ गृह में मौजूद मूर्तियां कच्ची मिट्टी की रहती थीं। जिसके चलते मंदिर का गर्भगृह शून्य है। हालांकि 18वीं शताब्दी में इसके ऊपरी कक्ष को कुछ क्षति हुई थी। इस मंदिर की हजारों उत्खचित ईटें लखनऊ संग्रहालय में सुरक्षित हैं।
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साईं मंदिर, कानपुर (Sai Baba Mandir, kanpur)
यह साई मंदिर कानपुर के प्रसिद्ध मंदिर (Famous Temple In Kanpur) में से एक है जो कानपुर के मंधना-बिठूर रोड पर स्थित है। साईं दरबार में अक्सर साईं बाबा के भक्तों की भीड़ लगी रहती है। यहाँ जाकर आप शांति और सुकून का एहसास कर सकते हैं। यह बहुत अच्छा मंदिर है। इस जगह पर हर तरफ सकारात्मकता महसूस की जा सकती है। यहाँ पर सुबह जाना अच्छा रहता है। अगर आप कभी भी कानपुर आये तब साई बाबा के दर्शन जरूर करे। इसे आप किसी भी समय कवर कर सकते हो क्योंकि यह शहर के केंद्र में है और यहाँ ज्यादातर भीड़ नहीं होती है।
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इस्कान मंदिर, कानपुर (Iskcon Temple, kanpur)
कानपुर के मैनावती मार्ग, बिठूर रोड पर स्थित है श्री राधामाधव मंदिर यानी इस्कॉन टेंपल। भगवान श्रीकृष्ण के वैसे तो देश-विदेश में कई मंदिर हैं, लेकिन इस्कॉन मंदिर को कृष्णा का ऐतिहासिक मंदिर माना जाता है। अलग-अलग देशों में 108 स्काॅन मंदिर हैं। जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर कानपुर के इस मंदिर में हर साल श्री राधा कृष्ण को बहुत अच्छे से सजाया जाता है। ISKCON का अर्थ है (International Society for Krishna Consciousness) जिसे हिंदी में अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ या इस्कॉन कहा जाता है। इस मंदिर की स्थापना श्रीकृष्णकृपा, श्रीमूर्ति, और श्री अभय चरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने की थी। इस्कान मंदिर में राधामोहन के दर्शन के लिए देश-विदेश से लाखों की भीड़ में श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर में हमेशा केवल “हरे रामा हरे कृष्णा” के स्वर गूंजते रहते है। इस मंदिर में हमेशा यही मंत्र का जप किया जाता है। इस मंदिर में भक्तों के लिए सत्संग और पारायण का आयोजन किया जाता है। यहाँ जन्मआष्ट्मी बहुत धूम धाम से मनाई जाती है।
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बारह देवी मंदिर, कानपुर (Bara Devi Temple, kanpur)
कानपुर जिले में बारह देवी मंदिर प्राचीन मंदिरो में से एक है। यहाँ हर साल खासकर नवरात्रि में श्रद्धालुओं की बरी भीड़ लगी रहती है। यहां पर भक्त चुनरी बांधकर अपनी मन्नत मांगता है मन्नत पूरी होने पर चुनरी खोल देता है। इस मंदिर की एक मान्यता है कि एक बार 12 बहनों की अपने पिता से अनबन हो जाती है। उनके कोप से बचने के लिए घर से एक साथ सभी 12 बहनें भाग गई। सारी बहनें किदवई नगर में मूर्ति बनकर स्थापित हो गई। पत्थर की बनी यही बारह बहनें कई सालों बाद बारादेवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुई। कहा जाता है कि इन बारह बहनों के श्राप से उनके पिता भी पत्थर हो गए थे। तब से ये 12 देवियाँ यहाँ विराजमान है।
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पनकी हनुमान मंदिर, कानपुर (Panki Hnumaan Temple, kanpur)
पनकी हनुमान मंदिर कानपुर में स्थित पंचमुखी हनुमान जी का एक प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है | ये मंदिर करीब 400 बर्ष पुराना है। इस मंदिर में हर साल बहुत भीड़ होती है और मंगलवार के दिन तो बहुत ही ज्यादा भीड़ होती है। इसकी स्थापना श्री 1008 महंत परषोतम दास जी ने की थी। ऐसा भी माना जाता है कि कानपुर शहर की स्थापना से पहले पनकी हनुमान मंदिर स्थापित हुआ था। ये कहा जाता है कि महंत जी एक बार चित्रकूट से लौट रहे थे। तब जिस स्थान पर पनकी का मंदिर है, वहां पर उन्हें एक इस तरह की चट्टान दिखी जिस पर बजरंग बलि को देखा जा सकता था। बस, उन्होंने तब ही उस स्थान पर मंदिर का निर्माण करने का फैसला किया। आज वहीं मंदिर पनकी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर कानपुर के प्रसिद्ध मंदिर में से एक है। यहाँ आपको एक बार जरूर जाना चाहिए।
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आनन्देश्वर मन्दिर, कानपुर (Anandeshwar Temple, Kanpur)
कानपुर में गंगा नदी के किनारे परमट घाट पर बना यह आनन्देश्वर मन्दिर भगवान शिव का मंदिर है। यह मंदिर कानपुर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इसे लोग छोटी काशी के नाम से भी बुलाते है। इस मंदिर के महंत रमेश पूरी जी है। उन्होंने बताया कि यह एक पुराना मंदिर है जो महाभारत से पहले से है। यह लगभग तीन एकड़ में बना है। यह मंदिर एक टीले पर बना था। कहा जाता है कि उस समय एक राजा की कई गायें वहाँ चरने जाती थी। उनमे से एक आनन्दी गाय उस टीले पर रोज अपना दूध छोड़ देती थी। एक दिन राजा ने पता लगाया तो देखा की वह गाय उस टीले पर अपना दूध छोड़ दी। तब राजा ने वहाँ पर दो दिन लगातार खुदवाया तो उसमे से एक शिवलिंग निकला। राजा उस शिवलिंग को वहीं पर स्थापित करके रुद्राभिषेक किया। वहाँ शिवलिंग मिलने के बाद उस गाय ने भी वहां अपना दूध बहाना बंद कर दिया। उस गाय के नाम पर यहां मिले भोलेनाथ का नाम आनन्देश्वर रखा गया। यह मंदिर कानपुर के टॉप प्रसिद्ध मंदिर (Famous Temple In Kanpur) में से एक है। यहाँ आपको एक बार जरूर जाना चाहिए।
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वैष्णों देवी मंदिर, कानपुर ( Vaishno Devi Temple, Kanpur)
उत्तर प्रदेश के कानपुर में बर्रा इलाके के दामोदर नगर में मां वैष्णो देवी का एक अनोखा मंदिर बना हुआ है। जो जम्मू के कटरा में स्थित माँ वैष्णो देवी मंदिर की तरह ही बना है। कानपुर के वैष्णो देवी मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहाँ 1000 हाथ वाली माता महिसासुर मर्दानी की मूर्ति मौजूद है। जिसका दुर्गा सप्तसती में वर्णन भी किया गया है। इस मंदिर में आपको जम्मू की तरह ही गुफाओं के बीच से निकल कर जाना पड़ेगा। यह गुफा पत्थरों को जोड़-जोड़कर मानवनिर्मित गुफा बनाई गई है।यहाँ नवरात्रि में दूर-दूर से भक्तों की भीड़ आती है। अगर कोई भक्त मातारानी के दरबार में आकर चुनरी से तीन गांठ लगाए तो उसकी मन्नत पूरी हो जाती है। मन्नत पूरी होने पर भक्त यहाँ आकर गांठ खोलते हैं। पुजारी के मुताबिक मंदिर में दो बार आरती की जाती है। मंदिर के कार्यकर्त्ता छुन्ना भाई ने बताया कि इस मंदिर को बुलंदशहर के जयदेव सिंह राणा ने सन् 2000 ई. में माता वैष्णो देवी से मांगी गई एक मन्नत पूरी होने पर बनवाया था। यहाँ एक हजार हाथ वाली माता महिसासुर मर्दानी की मूर्ति के अलावा अन्य 900 भगवान की मूर्तियाँ स्थापित हैं। जयदेव सिंह राणा माता वैष्णो देवी के बहुत बड़े भक्त थे।
FAQ
QUES1- कानपुर में सबसे पुराना मंदिर कौन सा है?
भीतरगांव मंदिर कानपुर का सबसे पुराना मंदिर है जो 5वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर पक्की ईंट का बना हुआ है। इस मंदिर के दीवारों पर आपको शिव-पार्वती, गणेश, विष्णु आदि की टेराकोटा की मूर्तियों की सजावट देखने को मिलती है।
QUES2- जेके मंदिर कानपुर किसने बनवाया था?
जे.के. मंदिर ( जुग्गीलाल कमलापत मंदिर) कानपुर के सर्वोदय नगर में फर्स्ट स्ट्रीट पर स्थित है। यह मंदिर जे. के. ट्रस्ट द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर के रखरखाव का बड़ा खर्च भी जे.के. ट्रस्ट फंड से ही आता है।
QUES3- इस्कॉन मंदिर का मालिक कौन है?
इस्कॉन मंदिर की स्थापना श्रीकृष्णकृपा, श्रीमूर्ति , श्री अभय चरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने की थी।
निष्कर्ष
इस लेख में आपको कानपुर के प्रसिद्ध मंदिर Famous Temple In Kanpur की जानकारी दी गई है। अगर आप कभी कानपुर की दौरे पर जाये तो यहाँ के मंदिरों के दर्शन जरूर करे। अगर आपको हमारा यह लेख अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों को भी शेयर करे ताकि वो भी कभी कानपुर जाये तो वहाँ के मंदिरों का दर्शन जरूर करे।
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